यहां दरवाजे बंद हैं.
Posted By Geetashree On 6:44 AM Under लड़कियों की तस्करीवे अपने घरों को लौट तो आईं हैं मगर बाकी बची जिंदगी की मुश्किलों का अंदाजा नहीं लगा पा रही हैं. उनके घर लौटने के बाद बूढे पिता की आंखें थोड़ी और सिकुड़ गईं हैं और माथे पर चिंता की लकीरें थोड़ी और गहरी. मां की कमर बोझ ढोते ढोते थोड़ी और झुक गई है.
जब बेटी घर से भागी थी किसी एजेंट के साथ, किसी को बिना बताए तब मां बाप ने यह सोच कर तसल्ली कर ली थी कि बेटी कमाने गई है और एक दिन इतने सारे पैसे कमाकर भेजेगी कि उनकी सारी गरीबी दूर हो जाएगी.
ना शहर से पैसा आया ना बेटी की कोई खबर आई. किसी तरह पता करके शहर पहुंचे और बेटी को दलालों के चंगुल ले छुड़ा लाए खाली खाली हाथ. बेटी के लौट आने की खुशी अब धीरे धीरे मातम में बदल रही है. चांद-तारों जैसे सपने देखने वाली बेटी के सपने भी तार-तार हो गए.
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